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Sunday, November 23, 2008

आस्तीन का दोस्त !!

सुई का निशान , मेरा आस्तीन का दोस्त !!
छपा हुआ है सदियों से ।
बड़ा हुआ ये मेरे संग ।
जब पहली बार मिले थे हम
तो , हल्का हल्का दर्द दिया था ।
पल्खों पे लटके थे मोती ।
खुश्क गालों की तराई हुई थी ।

तब से अब तक , साथ है मेरे ।
अब से तब तक , साथ रहेगा ।
सुई का निशान , मेरा आस्तीन का दोस्त ।

Saturday, November 1, 2008

दस्तरखान !

अंगूर को किशमिश ।
किशमिश को जाम ।
वक़्त बदलता है ।
बदलती हैं फितरत ।
नियत ने गुलाटी मारी ।

इस वक्त के दस्तरखान पर ।
देखें आज क्या परोसा है ।