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Saturday, March 14, 2009

भारत माता और हिन्दुस्तानी .

माँ (भारत माता) :
ये कैसी खरोच लगाके लाया बेटा ?
कि घाव हरे हैं खुरंट नहीं ।
पड़ोसी से झगड़ के आया बेटा ?
कि पहले शीशे मे झाका नहीं ।
क्यूँ मखमली चादर पे सोया बेटा?
कि खली है थाली कुछ खाया नहीं ।
ये कैसा राजा बनाया बेटा ?
राजा धरम का , प्रजा का नहीं।
ये कैसी खरोच लगा के लाया बेटा?

बेटा (हिन्दुस्तानी) :
अम्मा गोरे बोले चमक रहे हम ।
अब मुश्किलें हैं कम।
अब कभी न राज करेंगे ।
अब वो हमारे दोस्त बनेगे ।

अब वो मसाले नही मांगते ।
अब तो वो आला ज़हन लेजाते ।
बदले मे डॉलर दे जाते।

अम्मा देखो मई वर्ल्ड कप लाया।
अंग्रेजों के खेल मे उनको हराया।
सबमे सबसे अव्वल हूँ माँ ।
खेती बाडी अब नही करूँ माँ।
अब वैप्यारी बनना है माँ।
फसलें कट अब फक्ट्रियाँ उगेंगी ।
अव्वल भाषा अंग्रेज़ी रहेगी ।
अम्मा बेटा तेरा बड़ा हो गया ।
फैसले सारे अब ले लूँगा ।
चीनियों से भी आगे निकलूंगा ।


माँ (भारत माता ) :

तू तो बहुत बड़ा हो गया बेटा ।
पैरों पे खड़ा हो गया बेटा ।
संभल कर राहों मे कई हैं खाई ।
जिसकी पाताल तक गहराई ।
जमा जमा के रखना पाव ।
राहों मे फिसलन और काई ।
बस नियत साफ़ रख बेटा ।
हर मुश्किल आसान हो जाए ।
क्या करूँ ?
माँ हूँ तेरी , फिकर रहेगी ।
दुआ रहेगी , नज़र रहेगी ।
पर, आशा कि ज्योति सदा....
अमर रहेगी ।