mY tWEETS

Sunday, August 17, 2008

हथेली !!


ऐ हथेली कितना बोज लकीरों का ?
ला कुछ लकीरों को हल्का करे ।
कि कल का अंजान न पड़ सके इन्हे ।
और मै आज के साथ भी कुछ पल बिता लू ।

(This one only for uzzu... read the previous comments)







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