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Tuesday, January 20, 2009

बटन और चैन !






एक बटन था बेचारा ,
दिल दे बैठा चैन को।
पता थी उसको सच्चाई सब ।
कभी सिरे न जुड़ पाएंगे ।
चैन को दूर से ताका करता ।
चैन जुड़ कर रोज़ इतराती ।
लिपट लिपट के नाच दिखाती ।
धागे के बल बंधा रहता बेचारा ।
एक दिन घुटन ने जंग जीत ली ।
धागों कि जंजीरे तोडी ।
आजाद हुआ इस लीला से वो ।
आज भी कहानी सब बटन सुनते ।
कि ,एक बटन था बेचारा ,
दिल दे बैठा चैन को...