कविता........
बीडी का धुआं आज था थोडा घबराया..
होल्ले से सीलती दिवार का लिया सहारा..
सीलन की दो बूंदे थी चंचल..
सोचा आज धुएं मे अग लगनी..
बोले बारिश 1 संदेश लाई है..
आओं तुम्हे 1 बात बतानी...
"शेहर के बाजारों मे 1 नया धुआं आया है..
अपने पैकेट पर अंग्रेजी मे कुछ लिखवाया है..
झक सफ़ेद नीचे नारंगी बिन्दु...
औरतों ने उसे मुह से लगाया है.."
बीडी का दुआ और घबराया..
और खुद को हींग भावना से त्रास्त पाया..
भाग खडा हुआ परेशानी को सुनके धुआ..
सीलन की बूंदूं ने इसका लुपत उठाया..
ताली दी!! 1 हो गयीं..
कितना माज़ा था उनको आया...
पुराने पंखे की हवा ने धुएं का गाडापन था मिटाया..
अब धुँए ने खुद को पूरे ब्रमाण्ड मे बिखरा पाया..
पेर ये महसूस करने मे उसने अपना अस्तित्वा गवाया..
बीडी का धुआं आज था थोडा घबराया...
PLZ COMMENT........................
4 comments:
now I have tried this poem in hindi.devnagri.......
spelling mistakes are bond to happen.........
so........ maafi.......
1st speeling mishtake in d comment itself... bound not bond!!!.. he ehee
wont b efficient enuf in finding mishtakes in ur hindia poem!!!!...
u know d reason better dan me... hindi 42-43 brothers!!1... he ehee
nways its goood dat u translated the poem into hindi for our learned ppl!!...
keeep going..
tcre.. dhaval
well!! this is my marketing tragedy ....I mean strategy.. for my blog..its a sort of trivia quiz ...
where " U find spelling and grammatical mistakes and you can win. holiday package....bla bla bla ..."
so i guess... i'm winning.... since i'm d only one actively criticizing u!!!!!... he ehee
P.S.: make d prize as 1 kawab per mishtake at ur place... den toh i wud try to find mishtake at every word!!!
tcre.. dhaval
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